सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला
ऊँचे लम्बे पेड़ों का
पत्ता पत्ता ज़र्द मिला
सोचते हैं क्यूँ ज़िंदा हैं
अच्छा ये सर-दर्द मिला
हम रोए तो बात भी थी
क्यूँ रोता हर फ़र्द मिला
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला
ऊँचे लम्बे पेड़ों का
पत्ता पत्ता ज़र्द मिला
सोचते हैं क्यूँ ज़िंदा हैं
अच्छा ये सर-दर्द मिला
हम रोए तो बात भी थी
क्यूँ रोता हर फ़र्द मिला
तुम्हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो
ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूँ इन निगाहों में
बुरा क्या है अगर ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो
मैं देखूँ तो सही दुनिया तुम्हें कैसे सताती है
कोई दिन के लिए अपनी निगहबानी मुझे दे दो
वो दिल जो मैं ने माँगा था मगर ग़ैरों ने पाया है
बड़ी शय है अगर उस की पशेमानी मुझे दे दो