Friday, April 2, 2021

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर

 बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर

जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
- राहत इंदौरी


ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
में जब तक घर न लौटूं मेरी मां सज्दे में रहती है
- मुनव्वर राना 

मैं वो पल था जो खा गया सदियां
सब ज़माने गुज़र गए मुझ में
- अम्मार इक़बाल


हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
- बशीर बद्र


कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
- परवीन शाकिर 


तेरी बातें ही सुनाने आए
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए
- अहमद 


उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में


इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए 
- वसीम बरेलवी 
 

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूं मैं


क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे 
- जौन एलिया 












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