Sunday, April 18, 2021

मुस्कुराहट शायरी

मुस्कुराहट है हुस्न का ज़ेवर, 
मुस्कुराना न भूल जाया करो.

धूप निकली है बारिशों के बाद, 
वो अभी रो के मुस्कुराए हैं.

दिल में तूफ़ान हो गया बरपा, 
तुम ने जब मुस्कुरा के देख लिया.

देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो, 
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है.

तुझे हम दोपहर की धूप में देखेंगे ऐ ग़ुंचे, 
अभी शबनम के रोने पर हँसी मालूम होती है.

यूँ मुस्कुराए जान सी कलियों में पड़ गई, 
यूँ लब-कुशा हुए कि गुलिस्ताँ बना दिया.




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