Wednesday, April 14, 2021

ख्वाहिश शायरी

ख्वाहिशों के काफिले बड़े अजीब होते हैं ,

ये गुज़रते वहीं से हैं जहां रास्ते नही होते।


मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो,

उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये.!!


ज़रूरतों को दरकिनार कर ख़्वाहिशों  के पीछे भागते हैं,

दिन का सुकून तो गंवाया था अब रातों में भी जागते हैं!



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