Thursday, April 22, 2021

पुकार शायरी

नज़र पुकार रही है तुम्ही चले आओ
मिरी हयात मिरी ज़िंदगी चले आओ
- शाहिदा लतीफ़

कहीं फ़साना-ए-ग़म है कहीं ख़ुशी की पुकार
सुनेगा आज यहां कौन ज़िंदगी की पुकार
- रविश सिद्दीक़ी

मुझे हज़ार मर्तबा पुकार कर चला गया
वो सारी उम्र मेरा इंतिज़ार कर चला गया
- ज़ोहेब फ़ारूक़ी अफ़रंग


मैं जिस का मुंतज़िर हूँ वो मंज़र पुकार ले
शायद निकल के जिस्म से बाहर पुकार ले
- अलीम सबा नवेदी

बाग़ का बाग़ उजड़ गया कोई कहो पुकार कर
किस ने शफ़क़ पे मल दिए फूलों के रंग उतार कर
- शहज़ाद अहमद 


दिखाएगी असर दिल की पुकार आहिस्ता आहिस्ता
बजेंगे आप के दिल के भी तार आहिस्ता आहिस्ता
- सदा अम्बालवी

सुना है चुप की भी कोई पुकार होती है
ये बद-गुमानी मुझे बार बार होती है
- राहिल बुख़ारी


पुकार लेंगे उस को इतना आसरा तो चाहिए
दुआ ख़िलाफ़-ए-वज़अ है मगर ख़ुदा तो चाहिए
- रईस फ़राज़

चीख़-ओ-पुकार में तो हैं शामिल तमाम लोग
क्या बात है ये कोई बता भी नहीं रहा
- मंज़ूर हाशमी


उसे लाख दिल से पुकार लो उसे देख लो
कोई एक हर्फ़ जवाब में नहीं आएगा
- नोशी गिलानी

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