हर इक रिश्ते का कोई नाम हो ज़रूरी तो नहीं
दवा के बाद लाजमन आराम हो ज़रूरी तो नहीं।
कभी यूं भी तो बुला सकता हूं मिलने तुझको
हमेशा मुझ को कोई काम हो ज़रूरी तो नहीं।
वजहें तो और भी हो सकती हैं बहकने की
फकत शराब ही बदनाम हो ज़रूरी तो नहीं।
कभी हालात भी बन सकते हैं नफरत का सबब
यहां सनम पे ही इल्ज़ाम हो ज़रूरी तो नहीं।
दिल है रोने का तो तो लीजिए झिझक कैसी
कैफियत एक सी हर शाम हो ज़रूरी तो नहीं।
' ऐ दोस्त ' खुदा की ज़ात से कभी मायूस ना हो
के यूं ही ज़िन्दगी तमाम हो ज़रूरी तो नहीं।
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