आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
लिख तू कुछ ऐसा ऎ-दिल जिसे पढ वो रोये भी ना और रात भर सोये भी ना!
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