तू मेरा इश्क़ भी रहा और ताउम्र रहा ग़ैर भी
मेरा मर्ज़ भी है तू दवा भी है तेरा क्या कहना
तू मिला भी है तू जुदा भी है तेरा क्या कहना
तू सनम भी है तू ख़ुदा भी है तेरा क्या कहना!
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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