Thursday, August 29, 2019

अल्फाज, काफिया, गजल, मुकम्मल, लाज़मी, कलम, ज़ज्बात, बंजर, जमीन, इश्क, हवा, नमी

अल्फ़ाज़ो की..काफ़ियाओ की.. कमी तो नही है,
हर ग़ज़ल मुक्कमल हो..लाज़मी तो नही है,
चलेगी क़लम तो निकलेंगे कुछ जज़्बात ज़रूर,
अभी बंजर दिल की जमीं तो नही है...

पता उसके अश्क़ो का हमें चलता भी तो कैसे,
मौजूद हवा मे कोई नमी तो नही है.....

No comments: