Tuesday, August 27, 2019

अरसा, बेफिक्री, माँ, ओढ़ा

सोते हर रात हैं
पर एक अरसा गुज़र गया
वो बेफ़िक्री की चादर नहीं ओढ़ी
जो बचपन में माँ ओढ़ा दिया करतीं थीं।

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