Monday, October 21, 2024

तेरी चाहत का बस इक इशारा सही

तेरी चाहत का, बस इक, इशारा सही।

डूबते को तो, तिनके का, सहारा सही।।

प्रीत को, इक बार, बयां करना जरूर।

रोक लेना न तुम दिल में दोबारा कहीं।।

यूँ ही नहीं मिलते है, धरा पर कोई।

खुदा को नहीं, जब तक, गवारा सही।।

फूल खिलने की, भी तो, वजह है यहाँ।

जरा समझो, कुदरत का, नजारा सही।।

तेरी दुनिया के, होंगे, कई तलबगार।

मुझ सा न होगा, लेकिन, तुम्हारा सही।।

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