Monday, September 25, 2023

कि मिले तुम भी नहीं

नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक,

पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहींI

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कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा,

वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।


Sunday, September 24, 2023

वर्ष सवा सौ जीव

भोजना आधा पेट कर, दुगुना पानी पीव,

तिगुना श्रम, चौगुना हंसी, वर्ष सवा सौ जीव।


काका हाथरसी

Friday, September 22, 2023

छोड़ दीजिए कुछ मौजूं को वक़्त की मौजों पर

छोड़ दीजिए, कुछ मौजूं को,

वक़्त की मौजों पर.

कुछ तो, थक कर दम तोड़ेगी, 

कुछ किनारे से सुलह करेगी.

Wednesday, September 20, 2023

: तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है


तुझे अलग से जो सोचूँ अजीब लगता है 

जिसे न हुस्न से मतलब न इश्क़ से सरोकार 
वो शख़्स मुझ को बहुत बद-नसीब लगता है 

हुदूद-ए-ज़ात से बाहर निकल के देख ज़रा 
न कोई ग़ैर न कोई रक़ीब लगता है 

ये दोस्ती ये मरासिम ये चाहतें ये ख़ुलूस 
कभी कभी मुझे सब कुछ अजीब लगता है 

उफ़ुक़ पे दूर चमकता हुआ कोई तारा 
मुझे चराग़-ए-दयार-ए-हबीब लगता है 

Jaan Nisar Akhtar

Monday, September 18, 2023

तेरी चाह में हम

फितूर तुझे पाने की

फितूर हीं रह गई।

देखते देखते तू
अश्कों के संग
बह गई।
थी उम्मीद तू
दिल की
दिल में हीं रह गई।
आती जाती थी सांसों में
तू सांसों में हीं घुल गई।
दिल का दर्द अब कुछ
कम सा हो गया है ,
लगता है की अब
तू भी मुझे भूल गई और
फितूर तुझे पाने की
फितूर हीं रह गई ।
ये दीवानापन
ये बंजारापन
ये गलियों की ख़ाक
यादों में तेरी जलकर
कब के हो गए हम राख ।
बंद कर आंखों को
अपनी
एहसासों की पंखों को
खोल
छू जाएगा फिर से
प्यार मेरा
एक बार नाम तू मेरा
बोल ।
एक बार नाम तू मेरा
बोल ।
वही राह
वही मंज़िल
वही धड़कता दिल
तन मन में रास जगाए
एक बार तो
मुझसे मिल ।
लगी है लगन तुझसे
इसे तू प्यार समझ
या फिर मेरी फितूर ।
हसरतें तमाम
हसरतें ही रह गए ।
प्यार के बाग
अब पतझड़ बन के
झड़ गए।
तेरी चाह में हम बस
तील तील जल कर
रह गए ..
मुस्कुराते हुए तू
रुकसत हो गई कहीं
हम वहीं पड़े पड़े
जड़ हो गए ।
चेतना की आवाज़
है अब भी अधूरी तेरे बिना
आ प्यार कर ले एक बार फिर से
ऐ हमदम हमराही हमनवां मेरी , कि
तेरे प्यार को हम वर्षों तरस गए।
तेरे प्यार को हम वर्षों तरस गए।

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

इधर तो देखिए बहर-ए-ख़ुदा किधर को चले
 
मिरी निगाहों में दोनों जहाँ हुए तारीक

ये आप खोल के ज़ुल्फ़-ए-दुता किधर को चले
 
अभी तो आए हो जल्दी कहाँ है जाने की

उठो न पहलू से ठहरो ज़रा किधर को चले
 
ख़फ़ा हो किस पे भंवें क्यूँ चढ़ी हैं ख़ैर तो है

ये आप तेग़ पे धर कर जिला किधर को चले
 
मुसाफ़िरान-ए-अदम कुछ कहो अज़ीज़ों से

अभी तो बैठे थे है है भला किधर को चले
 
चढ़ी हैं तेवरियाँ कुछ है मिज़ा भी जुम्बिश में

ख़ुदा ही जाने ये तेग़-ए-अदा किधर को चले
 
गया जो मैं कहीं भूले से उन के कूचे में

तो हँस के कहने लगे हैं 'रसा' किधर को चले


भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको

मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है

मेरे दिल की मेरे जज़बात की कीमत क्या है
उलझे-उलझे से ख्यालात की कीमत क्या है
मैंने क्यूं प्यार किया तुमने न क्यूं प्यार किया
इन परेशान सवालात कि कीमत क्या है
तुम जो ये भी न बताओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको

ज़िन्दगी सिर्फ़ मुहब्बत नहीं कुछ और भी है
ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार की जन्नत नहीं कुछ और भी है
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में
इश्क़ ही एक हक़ीकत नहीं कुछ और भी है
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको
मैंने तुमसे ही नहीं सबसे मुहब्बत की है
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको

तुमको दुनिया के ग़म-ओ-दर्द से फ़ुरसत ना सही
सबसे उल्फ़त सही मुझसे ही मुहब्बत ना सही
मैं तुम्हारी हूँ यही मेरे लिये क्या कम है
तुम मेरे होके रहो ये मेरी क़िस्मत ना सही
और भी दिल को जलाओ ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको

साहिर लुधियानवी

Saturday, September 16, 2023

आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे

 ये कैंचियाँ हमें उड़ान से खाक रोकेंगी,

कि हम पैरों से नहीहौसलों से उड़ते है।

 

वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा,

मैं उसके ताज की कीमत लगा के लौट आया ।

 

सूरजसितारेचाँद मेरे साथ में रहें,

जब तक तुम्हारा हाथ मेरे साथ में रहें,

शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,

आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

 

रोज़ पत्थर कि हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,

रोज़ शीशों से कोई काम निकल आता है।

Friday, September 8, 2023

मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं आता

तुझे मोहब्बत करना नहीं आता,

मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं आता,

जिंदगी गुजारने के दो ही तरीके हैं,

एक तुझे नहीं आता....एक मुझे नहीं आता...!

Thursday, September 7, 2023

खुद से जो हारे हुए हैं

एक है ईश्वर एक है दुनिया ।

भेद क्यों फिर सारे हुए हैं ।।

जीत वो कैसे सकते हैं।
खुद से जो हारे हुए हैं ।।

आसमां उनसे भरा है।
मर के जो तारे हुए हैं ।।

बेबसी मेरी पूंछ न मुझसे।
‘कितना दिल मारे हुए हैं।।

हक़ पर चलने वाले दोस्त  ।
कब किसे प्यारे हुए हैं ।।

Wednesday, September 6, 2023

सुना है चाय बनाते हो तो गली महक उठती है

मिली जो फुर्सत तो आएंगे और चाय पिएंगे जरूर,

सुना है चाय बनाते हो तो गली महक उठती है।

 

शिकायत और दुआ में जब एक ही शख्स हो,

समझ लो इश्क़ करने की अदा आ गयी तुम्हें 

मित्र वही है



     तप्त हृदय को , सरस स्नेह से,

     जो सहला दे , *मित्र वही है।*


     रूखे मन को , सराबोर कर,  

     जो नहला दे , *मित्र वही है।*


     प्रिय वियोग  ,संतप्त चित्त को ,

     जो बहला दे , *मित्र वही है।*


     अश्रु बूँद की , एक झलक से ,

     जो दहला दे , *मित्र वही है।*

Saturday, September 2, 2023

बारिश शायरी

फुरकत-ए-यार में इंसान हूँ या की सहाब,

हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे ।

 

गुनगुनाती हुई आती है फलक से बूंदे,

कोई बदली तेरे पाजेब से टकराई है।

 

भींगी मिटटी की महक प्यास बढ़ा देती है,

दर्द बरसात की बूंदों में बसा करता है।

 

दफ्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वर्ना मैं,

बारिश की एक बूँद न बेकार जाने दूँ।

 

ओस से प्यास कहाँ बुझती है,

मूसलाधार बरस मेरी जान।

 

साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को,

तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई।

 

बरसात के आते ही तौबा न रही बाकी ,

बदल जो नज़र आये बदली मेरी नियत भी।

 

दूर तक छाये थे बादल और कहीं साया न था,

इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।

 

टूट पड़ती थी घटायें जिन की आँखें देखकर,

वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए।

 

धूप ने गुजारिश की,

एक बूँद बारिश की।

 

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है,

जाग उठती है अजब ख्वाहिशें अंगड़ाई की ।


मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी,

तू वो बदल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं। 

 

दिल तुमसे लगा कर दूर जाना नहीं

दिल से शायद तुमने कभी हमें अपना माना नहीं,

और सितम ये है कि हमने कभी तेरा मिजाज़ जाना नहीं.

मिल कर बिछड़ने का अंदाज़ है वही तेरा पुराना,

और हमें भी दिल तुमसे लगा कर दूर जाना नहीं. 😘