Thursday, March 10, 2022

गुमसुम रात में किसी तरह नींद आई थी

रघुवीर सहाय: 

गुमसुम रात में किसी तरह नींद आई थी
इस अचानक दौड़ती बौछार ने जगा दिया
कैसा दर्द दिल में उठा इस गाने से
कोई भी कष्ट हो वह जगा देता है
ऐसे ही चौंका कर
ऐसे ही बेचारी पलकों की मजेदार नींद
उचट जाया करती है
और आज तो ऐसे कि यह लगने लगा
सभी मेरे छोटे छोटे भोर
सभी कष्ट मेरे एक हैं।

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