Thursday, March 10, 2022

उनके दिल तक जाना था

​जिस्म की बात नहीं थी

उनके दिल तक जाना था

लम्बी दूरी तय करने में 

वक़्त तो लगता है


गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी

लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है 


खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
हार जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती 

सामने कोई भँवर है न तलातुम फिर भी
छूटती जाए है पतवार ये क़िस्सा क्या है 


हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं 
रंग बदलती इस दुनिया में सब कुछ बदल गया लेकिन
मेरे लबों पर तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है 


ये तजरबा हुआ है मोहब्बत की राह में
खो कर मिला जो हम को वो पा कर नहीं मिला 
जब उस ने ही दुनिया का ये दीवान रचा है
हर आदमी प्यारी सी ग़ज़ल क्यूँ नहीं होता 


ज़माने के लिए जो हैं बड़ी नायाब और महँगी
हमारे दिल से सब की सब हैं वो उतरी हुई चीज़ें 

मंज़िल ने दिए ताने रस्ते भी हँसे लेकिन
चलते रहे अक्सर हम कुछ और तरह से भी 


सोच समझ सब ताक़ पे रख कर

प्यार में बच्चों सा मचला कर 


-हस्तीमल हस्ती




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