Friday, September 28, 2018

हकीम आप सा

बस आप मुस्करा दें, तबीयत ख़ुश हो जाती है मेरी,
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम आप जैसा नहीं!

Tuesday, September 25, 2018

जिंदगानी

तेरे इश्क में मुझको ऐसी
हुक्मरानी चाहिए.
तेरा दिल, तेरी चाहत,
तेरे संग मुकम्मल जिंदगानी चाहिए।

बेहतरीन होना

दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से 'साहेब',
इंसान का 'बेहतरीन' होना भी गुनाह है!

तालीम ए मोहब्बत

मुकम्मल हो ही नहीं पाती कभी तालीमे मोहब्बत,
यहाँ उस्ताद भी ताउम्र एक शागिर्द रहता है!

Monday, September 24, 2018

नींद उड़ा कर

नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो, कि सो जाओ, कल बात करेंगे,
अब वो ही हमें समझाए, कि कल तक हम, क्या करेंगें।।

ख्वाब

ऐसा नहीं की जिंदगी में, कोई आरजू ही नहीं।
पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ, जिसमें तू ही नहीं!

Sunday, September 23, 2018

सुकून

शहर बसाकर अब,
सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं!
बड़े अजीब हैं हम लोग,
हाथ में कुल्हाड़ी लिए छाँव ढूँढते हैं।

Saturday, September 22, 2018

फितूर

फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा,
खिलौने, माशूका, रुतबा और फिर खुदा।

मेरा दिन

तेरी हर याद से शुरु होती है मेरी हर सुबह,
फिर ये कैसे कह दुँ कि मेरा दिन खराब रहा!

Friday, September 21, 2018

बेवफ़ा

मौत मांगते हैं तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती है।
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूं,
जिसे भी चाहा वो बेवफा हो जाती है!

दिल का राज

दिल का राज है लेकिन तुम्हे बता रहा हूँ मैं,
जिसे खुद भी नही मालुम उसी को चाह रहा हूँ मैं!

हम निखर गए

दिल टूटा मेरा और,
ख्वाब बिखर गए
दर्द मिला इश्क मे इतना,
कि जख्मों से हम निखर गए!

लफ्ज़ मुकर जाते

आँखे थीं जो कह गई सब कुछ,
लफ्ज होते तो मुकर जाते।

अब प्यार नहीं होता

अब तो किसी बात पे ऐतबार नहीं होता,
होते हैं बस समझौते दिलों के, कोई प्यार नहीं होता!

आँधियों पे भारी

उड़ान वालों उड़ानों पे वक़्त भारी है,
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है।
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ,
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है।
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को,
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है,
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है।

मासूमियत

मासूमियत तुझमें है पर, तू इतना मासूम भी नहीं,
कि मै तेरे क़ब्ज़े में हूँ और, तुझे मालूम भी नहीं!

मांँगी जुदाई

तुझे चाहा तो बहुत, इजहार न कर सके,
कटी गई उम्र सारी, प्यार कर न सके।
तूने मांगी भी तो, जुदाई माँगी,
और हम थे की, इनकार कर न सके।

हकीकत या फरेब

तू हकीकत-ए-इश्क है, या कोई फरेब,
ज़िन्दगी में आती नहीं, ख़्वाबों से जाती नहीं!

दो पल का सुकून

मिल जाता है दो पल का सुकून चंद यारों की बंदगी में,
वरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में!

Thursday, September 20, 2018

उम्र तमाम गुजरी

चंद रोज़ की उम्र कुछ ऐसे बेलगाम गुज़री,
किसी मोड़ पर जश्न, तो कहीँ ग़म की शाम गुज़री.
ज़िंदगी जीने की फ़ुरसत ही कब मिली हमें,
जियें किस तरह, यही सीखने में उम्र तमाम गुज़री।

Tuesday, September 18, 2018

हमसफर

अपना हमसफ़र बना ले मुझे,
तेरा ही साया हूँ, अपना ले मुझे।
ये रात का सफर और भी हसीं हो जायेगा,
तू आ जा मेरे सपनों में, या बुला ले मुझे।।💖

Saturday, September 1, 2018

मुकम्मल

तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें मुकम्मल हो जाती हैं।
तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया मुकम्मल हो जाती है।।

अल्फाज दिल से निकलते हैं

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता।
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता।।

तराशना

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर, या;
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

खता ये हुई

गुनाह किये होते, तो मांफ भी हो जाते साहिब;
ख़ता तो मुझसे ये हुई, कि उनसे इश्क़ हो गया।

मुक़द्दर की बात

किस पर ठहरती है नज़र,
ये नज़र-नज़र की बात है;
कौन, किसका, कब बन जाता है अजीज,
यह मुकद्दर की बात है!

😊सर उठा के जीओ 😊

तुम भी सर उठा कर,
जी सकते हो दुनिया में;
बस एक दिन,
मोबाइल घरपर ही भूल जाना। 😊

इजहार ए इश्क़

‎तेरे बदन से छिटककर‬, मेरे चेहरे से लिपटा‬,
‪‎इज़हार ए इश्क़, तेरा‬ ‎ये दुपट्टा करता है!

दिल कि सुनाते हैं

कभी आओ, बैठते है, बतलाते है;
दुनिया की फिक्र छोड़, दिल की सुनाते है!

हमारी रज़ा?

आंखें पढ़ो, और जानो हमारी  रज़ा क्या है,
हर बात लफ़्ज़ों से बयान हो, तो मज़ा क्या है?

इजहार ए इश्क़

‎तेरे बदन से छिटककर‬, मेरे चेहरे से लिपटा‬,
‪‎इज़हार ए इश्क़, तेरा‬ ‎ये दुपट्टा करता है!

तराशना

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर, या;
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।