Tuesday, February 13, 2024

चुम्बन, बोसे पर कहे गए बेहतरीन शेर

एक बोसा होंट पर फैला तबस्सुम बन गया

जो हरारत थी मेरी उस के बदन में आ गई
- काविश बद्री

क्या क़यामत है कि आरिज़ उन के नीले पड़ गए
हम ने तो बोसा लिया था ख़्वाब में तस्वीर का
- अज्ञात

न हो बरहम जो बोसा बे-इजाज़त ले लिया मैं ने
चलो जाने दो बेताबी में ऐसा हो ही जाता है
- जलाल लखनवी

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
- बहादुर शाह ज़फ़र


बोसा आँखों का जो माँगा तो वो हँस कर बोले
देख लो दूर से खाने के ये बादाम नहीं
- अमानत लखनवी


बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है
- मिर्ज़ा ग़ालिब


लजा कर शर्म खा कर मुस्कुरा कर
दिया बोसा मगर मुँह को बना कर
- अज्ञात

मिल गए थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
उम्र भर होंटों पे अपने मैं ज़बाँ फेरा किए
- जुरअत क़लंदर बख़्श


बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
- बहादुर शाह ज़फ़र

बोसा जो रुख़ का देते नहीं लब का दीजिए
ये है मसल कि फूल नहीं पंखुड़ी सही
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़


बोसा तो उस लब-ए-शीरीं से कहाँ मिलता है
गालियाँ भी मिलीं हम को तो मिलीं थोड़ी सी
- निज़ाम रामपुरी

बोसाँ लबाँ सीं देने कहा कह के फिर गया
प्याला भरा शराब का अफ़्सोस गिर गया
- आबरू शाह मुबारक

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