एक बोसा होंट पर फैला तबस्सुम बन गया
जो हरारत थी मेरी उस के बदन में आ गई- काविश बद्री
क्या क़यामत है कि आरिज़ उन के नीले पड़ गए
हम ने तो बोसा लिया था ख़्वाब में तस्वीर का
- अज्ञात
न हो बरहम जो बोसा बे-इजाज़त ले लिया मैं ने
चलो जाने दो बेताबी में ऐसा हो ही जाता है
- जलाल लखनवी
बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
- बहादुर शाह ज़फ़रबोसा आँखों का जो माँगा तो वो हँस कर बोले
देख लो दूर से खाने के ये बादाम नहीं
- अमानत लखनवी
बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है
- मिर्ज़ा ग़ालिबलजा कर शर्म खा कर मुस्कुरा कर
दिया बोसा मगर मुँह को बना कर
- अज्ञात
मिल गए थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
उम्र भर होंटों पे अपने मैं ज़बाँ फेरा किए
- जुरअत क़लंदर बख़्शबे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
- बहादुर शाह ज़फ़र
बोसा जो रुख़ का देते नहीं लब का दीजिए
ये है मसल कि फूल नहीं पंखुड़ी सही
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़बोसा तो उस लब-ए-शीरीं से कहाँ मिलता है
गालियाँ भी मिलीं हम को तो मिलीं थोड़ी सी
- निज़ाम रामपुरी
बोसाँ लबाँ सीं देने कहा कह के फिर गया
प्याला भरा शराब का अफ़्सोस गिर गया
- आबरू शाह मुबारक
No comments:
Post a Comment