Sunday, February 11, 2024

सब फासले मिट जाते

सब फासले मिट जाते ,वो गर हमे पुकार लेते।

मै आइने सजाता वोभी गर जुल्फें संवार लेते।।

बनकर हमसफर , मै भी , साथ उनके चलता ।
दरिया-ए-उलफत मे वो , गर कश्ती उतार लेते।।

नासूर बने जख्मों को भी,कुछ आराम मिलता।
बशर्ते कि चंद लम्हे ,वो यूं मिलकर गुजार लेते।।

जुगनुओं के झुरमुट , ये यूं ही ,जगमगाते रहते।
सितारों से थोड़ी सी चांदनी ,वो गर उधार लेते।।

ये मुहब्बत सारे फूल भी , कभी यूं ना गंदे होते।
मै चादरें बिछाता , मगर वो ,आंगन बुहार लेते ।।

ख़ामोशियों के मंजर भी , इतने बेवफा ना होते।
वो ख्वाबों मे मेरे आकर,थोड़ा मुझसे प्यार लेते।।

बेताबियां दिलों की , यूं इस कदर तो ना बढती।
मुझको सुकूं देकर , वो फिर ,मुझसे करार लेते।।

अपने दिल की जवां धड़कनें, मै उन्हे सौंप देता ।
मेरी जीत की खातिर , वो दिल अपना हार लेते ।।

मुसलसल बरसते सावन की जरूरत नही होती।
एक दूजे पर हम खुशी के ,गर आंसू फुहार लेते।।

मै वहीं खड़ा मिलता, वो जिस राह पे भी चलते।
इत्तेफाक से भी वो कभी यूं गर मुझे पुकार लेते।

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