मुझे ये फूल न दे तुझ को दिलबरी की क़सम
ये कुछ नहीं तिरे होंठों की ताज़गी की क़समनज़र हसीं हो तो जल्वे हसीन लगते हैं
मैं कुछ नहीं हूँ मुझे मेरे हुस्न ही की क़समतू एक साज़ है छेड़ा नहीं किसी ने जिसे
तिरे बदन में छुपी नर्म रागनी की क़समये रागनी तिरे दिल में है मेरे तन में नहीं
परखने वाले मुझे तेरी सादगी की क़समग़ज़ल का लोच है तू नज़्म का शबाब है तू
यक़ीन कर मुझे मेरी ही शायरी की क़सम
Sahir Ludhianvi
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