Thursday, July 13, 2023

क्या मोहब्बत की सदा तुम तक जाती नहीं

बहुत याद करते हैं - तुमसे दूर हो कर ।

क्या ये मेरी मोहब्बत की सदा- तुम तक जाती नहीं ।। 

मैं तन्हां हूँ, अकेला हूँ – इस भरी भिंड़ में। 
मेरे हालात कुछ ऐसे है, जानकर भी तरस खाती नहीं ।। 

मैं और तुम बस रह गए – हम बनते बनते । 
ज़रा सा इकरार और हो गया होता – तो ये दिन ऐसी आँच लाती नहीं ।। 

वो तुम थे जो मेरी अंगुलियों में – अंगुली फेरा करती थी ।
जुल्फ गिरा कर मोहब्बत की – कैद कर लिया था, अब वो सब कुछ जताती नहीं ।। 

क्या हो गया है शादी के बाद से तुम्हे, मुँह फेर लिया जैसे कि जानती न हो। 
खामोश तुम भी कहीं हो, वज़ह पूछता हूँ तो बताती नहीं ।। 

अक्सर लड़कियाँ प्यार तो कर जाती है – पर निभाती नहीं । 
डोर किसी और के बंध जाती हैं खामोशी से – अपनी उलझन जताती नहीं ।। 

बहुत याद करते हैं - तुमसे दूर हो कर । 
क्या ये मेरी मोहब्बत की सदा- तुम तक जाती नहीं ।। 

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