रहा करो कभी तो, इत्मीनान से
सब कुछ नहीं मिलता जहान से
जरूरत का सामान सब घर था
ले आए दो चार और दुकान से
रोज़ वही गलती रोज़ वही कल
सीखा क्या फिर गीता पुराण से
सब्र रखना सीखो इस धरती से
और ठहरना उस आसमान से
हल कितने बैठे हैं, बस चुप हैं
राज बोला करो मीठी ज़ुबान से
No comments:
Post a Comment