मेरे इश्क़ की
कुनकुनी नरमी में खोना ही था,
प्रेम तो होना ही था,
अलग अलग रास्तों पे चल दिए
बिछड़ के सदा के लिए,
कोई रास्ता फिर को जगह
आ मिलना ही था....
तुमने शोहरतें कई ढूंढी,
मैंने बस दिवानगी चुनी,
दुनियां की रंगीनियों से,
मन कभी तो भरना ही था...
मैने तो सजदे में
सिर्फ तेरी खुशी मांगी,
अपने लिए तेरे आंसू,
तेरे गमों की तपिश मांगी,
तेरी खुशियों को फिर
तुझ से आन मिलना ही था....
No comments:
Post a Comment