Saturday, March 25, 2023

जिहाल-ए -मिस्कीन

जिहाल-ए -मिस्कीन मकुन बा रंजिश,

बहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन,
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है।

इसका अर्थ है मुझ गरीब(मिस्कीन) को रंजिश से भरी इन निगाहों से ना देखो, क्योंकि मेरा बेचारा दिल जुदाई(हिजरा) के मारे यूँ ही बेहाल है। जिस दिल कि धड़कन तुम सुन रहे हो वो तुम्हारा या मेरा ही दिल है।

इस गीत की पंक्तियों को अमीर खुसरो की शायरी से लिया गया है जो इस प्रकार है

ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां।
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां। ।

यह शायरी फारसी और ब्रज के अनोखे सम्मेलन से बनाई गई है। इसमें खुसरो ने दो भाषाओं की विविधता द्वारा यह शायरी तैयार की थी इसका अर्थ है

मुझ गरीब को यूं आंखे इधर उधर दौड़ाकर और बातें बनाकर नजरअंदाज(तगाफुल) ना करो। मैं अब और जुदाई नहीं सह सकता तुमसे अय जान तुम क्यों नहीं आके मुझे सीने से लगा लेती हो।

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