Friday, April 30, 2021
आँसू शायरी
किताब शायरी
शायरी दिल की आवाज़ है या
हम वाकिफ़ नहीं थे
Wednesday, April 28, 2021
दुआ शायरी
Saturday, April 24, 2021
बड़ा समर्पण है इन बारिश की बूंदों में वर्ना
उजाला शायरी
शाम ख़ामोश है पेड़ों पे उजाला कम है
लौट आए हैं सभी एक परिंदा कम है
- फ़हीम जोगापुरी
दिल की बस्ती में उजाला ही उजाला होता
काश तुम ने भी किसी दर्द को पाला होता
- अशोक साहिल
ग़ज़ल में अब के भी तेरा हवाला कम रहेगा
- सलीम कौसर
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ये सर्द-मेहर उजाला ये जीती-जागती रात
तिरे ख़याल से तस्वीर-ए-माह जलती है
- महबूब ख़िज़ां
इस अंधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शमां जलाने से रही
- निदा फ़ाज़ली
मेरी तारीक शबों में है उजाला इन से
चांद से ज़ख़्मों पे मरहम ये लगाते क्यूं हो
- लईक़ आजिज़
यही दिन में ढलेगी रात 'अख़्तर'
यही दिन का उजाला रात होगा
- अख़्तर होशियारपुरी
अंधेरों को निकाला जा रहा है
मगर घर से उजाला जा रहा है
- फ़ना निज़ामी कानपुरी
सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
- हफ़ीज़ बनारसी
Friday, April 23, 2021
दहलीज पर रख दी है चाहत आगे तुम जानो
Thursday, April 22, 2021
पुकार शायरी
जरूरी तो नहीं
Monday, April 19, 2021
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं
Sunday, April 18, 2021
मुस्कुराहट शायरी
Wednesday, April 14, 2021
ग़लतफहमी सी होती है के मैं खुदा तो नहीं
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है।
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी,
चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है,
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास,
पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है।
ख्वाहिश शायरी
ख्वाहिशों के काफिले बड़े अजीब होते हैं ,
ये गुज़रते वहीं से हैं जहां रास्ते नही होते।
मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो,
उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये.!!
ज़रूरतों को दरकिनार कर ख़्वाहिशों के पीछे भागते हैं,
दिन का सुकून तो गंवाया था अब रातों में भी जागते हैं!
Wednesday, April 7, 2021
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे ।
उतना सफ़र आसान रहेगा
मैं तेरे पास हूँ तू मेरे पास है।
तू बस मुझे आवाज़ दे
वो भी पत्थर है
पीना उसी का है जो पिए बेखुदी के साथ!
Friday, April 2, 2021
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
- राहत इंदौरी
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
में जब तक घर न लौटूं मेरी मां सज्दे में रहती है
- मुनव्वर राना
मैं वो पल था जो खा गया सदियां
सब ज़माने गुज़र गए मुझ में
- अम्मार इक़बाल
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
- बशीर बद्र
कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
- परवीन शाकिर
तेरी बातें ही सुनाने आए
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए
- अहमद
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
- वसीम बरेलवी
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूं मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे
- जौन एलिया