Thursday, October 29, 2020

यादों की नदी

जब हम उधर थे,
इधर की याद आती थी
अब इधर हैं तो उधर की याद आती है .
जिन्दगी लगता है
इधर - उधर की यादों की नदी बन गई थी
तभी जब तुम इधर आ गए
और हम उधर रह गए
लगता है जिन्दगी के शेष दिन
इधर - उधर की भाग - दौड़ में बीत जायेंगे,
प्यार बांटने के लिए बहुत कम वक़्त है मेरे पास,
जितना मिले ले लो,
बहस में मत बर्बाद करो कीमती समय,
बीता वक़्त फिर कभी वापस नहीं आता.
आती हैं यादें और तब होती है हमें पीड़ा -
काश, हम यह न करते अथवा ऐसा न कहते !

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