स्याह अंधेरी रात
बेवफा चांद ने छोड़ा साथ
तारों की चादर को
बिछौना बना दूंगा मैं
कभी आवाज देना
चला आऊंगा मैं !!!!
कश्ती में हिचकोले हों
समुन्दर में तुम अकेले हो
उफनती लहरों को ही
मांझी बना दूंगा मैं
कभी आवाज देना
चला आऊंगा मैं !!!
पथरीली बहुत हो डगर
मंजिल न आये नजर
रास्ते के टीलों को
आशियाना बना दूंगा मैं
कभी आवाज देना
चला आऊंगा मैं !!!!
आंधियों का कहर हो
तूफान भरी सहर हो
धूल से भरी हवाओं को
शामियाना बना दूंगा मैं
कभी आवाज देना
चला आऊंगा मैं !!!!
Saturday, October 24, 2020
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