इस कदर खामोशी ने हमें अपना बना लिया
कि महफ़िल में भी जाने से डर लगता है...
जो हँसी खुशी मस्ताना अदांज पहचान थी मेरी...
वो सब बस यादों मे सिमट गया
और सुकुन भी अब महफिल में नहीं
बीती यादों मे मिलता है.....
जो लब पर हँसी के साथ साथ पलकों को भी भिगोता है।।।
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