आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अना (ego) ने हाथ उठाने न दिया वरना, मेरी दुआ से वो पत्थर पिघल भी सकता था।
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