आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जो खो जाता है, मिलकर जिंदगी में। गज़ल है नाम उसका, शायरी में।।
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