गुजरे दिनो की याद, बरसती घटा लगे,
गुजरू जो उस गली से, तो ठंडी हवा लगे।
मेहमान बनके आये, किसी रोज गर वो शख्स,
उस रोज बिन सजाये, मेरा घर सजा सजा लगे!
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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