आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मैं फ़क़ीरों से भी करता हूँ तिजारत (business) अक्सर, जो एक पैसे में लाखों की दुआएं करते हैं।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment