Thursday, June 14, 2018

कमी खलती है

जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी खलती है बहुत,
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत।
दावे करती हैं ज़िन्दगी, जो हर दिन तुझे भुलाने की,
किसी न किसी बहाने से, तुझे याद करती है बहुत।।

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