कतरा के जिंदगी से, गुजर जाऊं, क्या करूं!
रूसवाइओ के खौफ से, मर जाऊं, क्या करूं।
मैं क्या करूं कि, तेरी अना को मिले सकून!
गिर जाऊं, टूट जाऊ बिखर जाऊं, क्या करू।।
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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