आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
लाख हम शेर कहें , लाख इबारत लिखें। बात वो है जो, तेरे दिल में जगह पाती है!
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