Tuesday, October 10, 2017

भीगी आँखे

भीगी नहीं थी मेरी आँखें,
कभी वक्त के मार से!
देख आज तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने,
इन्हें जी भर के रूला दिया!!

No comments: