आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मुस्कुराओ तो मुस्कुराती है ।
ज़िंदगी आईने के जैसी है ।।
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