Wednesday, November 22, 2023

हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना

हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना 

हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना 

ये तर्ज़ एहसान करने का तुम्हीं को ज़ेब देता है 
मरज़ में मुब्तला कर के मरीज़ों को दवा देना 

बलाएँ लेते हैं उन की हम उन पर जान देते हैं 
ये सौदा दीद के क़ाबिल है क्या लेना है क्या देना 

ख़ुदा की याद में महवियत-ए-दिल बादशाही है 
मगर आसाँ नहीं है सारी दुनिया को भुला देना 

अकबर इलाहाबादी

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