Thursday, November 9, 2023

एक नयी दुनिया बसाऊं बहारों के पल लिए

एक पहल मन से गुलाब की ओर

हर कदम बढ़ता उसकी खुशबू की ओर

मन को है पता कांटे भी साथ मिलेंगे

पर भरोसा है खुशी के बीज साथ चलेंगे

एक बात है ज़रा कहूं अगर हो इजाजत

शम्स बिना गुलाब की अधूरी इबादत

उसकी ये तबस्सुम ये सुर्खियां हैं पहचान

चुन न ले आधी खिली कलियां कहीं बाग़बान

कभी खयाल जी में उठता कि उसके लिए

एक नयी दुनिया बसाऊं बहारों के पल लिए

मगर चाहत की ओर ये पहल एक मन में है

और खुशबू बिखरी हुई हर तरफ गगन में है

ये कदम बढ़ता है अजब है इश्क की डोर

बंधी महक-ओ-सुर्खी से चले गुलाब की ओर

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