Saturday, November 4, 2023

बात मेरी कभी सुनी ही नहीं

 बात मेरी कभी सुनी ही नहीं 

जानते वो बुरी भली ही नहीं 


दिल-लगी उन की दिल-लगी ही नहीं 

रंज भी है फ़क़त हँसी ही नहीं 


लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद 

हाए कम-बख़्त तू ने पी ही नहीं 


उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से 

कभी गोया किसी में थी ही नहीं 


जान क्या दूँ कि जानता हूँ मैं 

तुम ने ये चीज़ ले के दी ही नहीं 


हम तो दुश्मन को दोस्त कर लेते 

पर करें क्या तिरी ख़ुशी ही नहीं 


-Dagh Dehalvi

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