Thursday, November 9, 2023

साथ में जी लो

 एक अंकुर बोला ,

बड़ा होकर पेड़ बनूंगा।

साथ हँसेगे साथ रोए गे,

सब के साथ मे खेलूंगा ।


ज्यो-ज्यो बड़ा हुआ,

त्यों-त्यों पत्ते आये ।

नए-नए सदस्यो को,

देखकर वह मुस्काए ।


पेड़ के सारे पत्ते झगड़ने लगे,

मे ऊँचा मे ऊँचा, मे बड़ा सबसे ।

तू नीचा तू नीचा, तू छोटा सबसे,

तभी एक-एक टूटने लगे तूफां से ।


उसको याद न था की,

सब चार दिना को आये ।

तूफानों मे एक दूजे से,

टकराता और गिर जाए ।


पुराने पत्ते टूट रहे थे,

नए-नए पत्ते उग रहे थे ।

कभी पत्तो के संग डाली गिरती,

उसके सपने धीरे से टूट रहे थे ।


कहती है प्रकृति,जब तक साथ मिला ।

न बेर किसी से, दिल मे रख मेला।

क्या पता कौन पत्ता कब गिर जाए ,

कौन मंजिल से पहले छोड़ चला जाए ।

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