Wednesday, May 5, 2021

ये जो ज़िन्दगी की किताब है


ये जो ज़िन्दगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है

कहीं छांव है कहीं धूप है कहीं और ही कोई रूप है,
कई चेहरे इस में छुपे हुए इक अजीब सी ये नक़ाब है
 
कहीं खो दिया कहीं पा लिया कहीं रो लिया कहीं गा लिया,
कहीं छीन लेती है हर ख़ुशी कहीं मेहरबान बेहिसाब है
 
कहीं आंसुओं की है दास्तां कहीं मुस्कुराहटों का बयां,
कहीं बर्क़तों की है बारिशें कहीं तिश्नगी बेहिसाब है

No comments: