Thursday, May 27, 2021

जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूं

जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूं
मुझ से आगे जाने वालो में आता हूं

जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आंखें
दिल कहता है उन को भी मैं याद आता हूं

सुर से सांसों का नाता है तोड़ूं कैसे
तुम जलते हो क्यूं जीता हूं क्यूं गाता हूं

तुम अपने दामन में सितारे बैठ कर टांको
और मैं नए बरन लफ़्ज़ों को पहनाता हूं

जिन ख़्वाबों को देख के मैं ने जीना सीखा
उन के आगे हर दौलत को ठुकराता हूं

ज़हर उगलते हैं जब मिल कर दुनिया वाले
मीठे बोलों की वादी में खो जाता हूं

'जालिब' मेरे शेर समझ में आ जाते हैं
इसी लिए कम-रुत्बा शाएर कहलाता हूं

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