Thursday, August 27, 2020

तकरार' और 'नाराज़गी' शेर

फूल कर ले निबाह काँटों से 
आदमी ही न आदमी से मिले 
- ख़ुमार बाराबंकवी

जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
- अहसन मारहरवी

सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
- महावीर उत्तरांचली

भूले से कहा मान भी लेते हैं किसी का
हर बात में तकरार की आदत नहीं अच्छी
- बेख़ुद देहलवी

दोनों जहान दे के वो समझे ये ख़ुश रहा
याँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें
- मिर्ज़ा ग़ालिब

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से 
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है 
- जिगर मुरादाबादी


कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ 
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए 
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले 
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते 
- असद भोपाली

ज़रा सी बात पे नाराज़गी अगर है यही 
तो फिर निभेगी कहाँ दोस्ती अगर है यही 
-मुर्तज़ा बरलास

ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने 
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता 
- चराग़ हसन हसरत

चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है 
लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई 
- अख़्तर अंसारी अकबराबादी

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से 
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है 
- ख़ुर्शीद तलब

सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले 
तू ने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले 
- आनंद नारायण मुल्ला

इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ 
ऐ संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ 
- अर्श सिद्दीक़ी

या ख़फ़ा होते थे हम तो मिन्नतें करते थे आप 
या ख़फ़ा हैं हम से वो और हम मना सकते नहीं 
- मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस

1 comment:

MahavirUttranchali said...

वाह वाह, सब एक से बढ़कर एक उम्दा अश'आर!