Monday, March 9, 2020

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन

साहिर लुधियानवी के २ शेर-

1)

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा 

2)

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

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