दिल में छुपी यादों में संवारूँ तुझे,
तू दिखे तो आँखों में उतारूँ तुझे,
तेरी जिक्र को पलकों पे ऐसे सजाया है,
सो भी जाऊं तो ख्वाबों में पुकारूँ तुझे|
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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