आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
चलो माना कि हमें प्यार का इज़हार करना नहीं आता, जज़्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment