सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं,
माँगा ख़ुदा से हर वक़्त तेरे सिवा कुछ भी नहीं,
जिस पर हमारी आँख ने, मोती बिछाये रात भर,
भेजा वही कागज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं।
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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