Thursday, August 31, 2017

गम के चराग़

कभी आह लब पे मचल गई, कभी अश्क़ आँख से ढल गए,
ये तुम्हारे गम के चराग़ हैं, कभी बुझ गये कभी जल गए!

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले!

लब पे तबस्सुम

बीती बातें फिर दोहराने बैठ गए ,
क्यों ख़ुद को ही ज़ख़्म लगाने बैठ गए ;
अभी अभी तो लब पे तबस्सुम बिखरा था ,
अभी अभी फिर अश्क बहाने बैठ गए ?

जिंदगी संँवर जाए

मेरी झोली में कुछ अल्फाज, दुआओं के डाल दो,
क्या पता तुम्हारे लब हिलें, और मेरी जिंदगी संँवर जाए!

Friday, August 25, 2017

दीदार तेरा

दीदार तेरा किया हमने,
आज गैरों की कतार से.
ना नज़र ए इनायत हुई,
ना रूह को सुकून मिला!

बिखरे अरमान

हम उसकी याद में परेशान बहुत हैं,
चाहत की राह में बिखरे अरमान बहुत हैं!
वो हर बार दिल तोड़ता है ये कह कर,
मेरी उम्मीदों की दुनिया में अभी मुकाम बहुत है!

Thursday, August 24, 2017

जिंदगी सी होती है

Kabhi kabhi in ankho main nami se hoti hai,
Kabhi kabhi in honto pe hansi si hoti hai.
Ae dost woh tumhi ho 
जिससे,
meri zindgi, zindgi si hoti hai.. 😘

बाकी रह गया

मिट गये सब ज़ख्म,
बस निशांँ बाकी रह गया!
सज़ा मुकम्मल हो गयी,
करना गुनाह बाकी रह गया।

कदम

कदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते में,
वैसे संभलना हम भी जानते थे!
ठोकर लगी हमें उस पत्थर से,
जिसे हम कभी अपना मानते थे!!

इन्तहाँ कहाँ तक है

ना पूछ, मेरे सब्र की इन्तहाँ कहाँ तक है,
कर ले तू सितम, तेरी हसरत जहाँ तक है!
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी, उनको मुबारक,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है!!

चाहत सी हो गई है

सके साथ रहते रहते, उससे चाहत सी हो गई है,
उससे बात करते करते, उसकी आदत सी हो गई है!
एक पल ना मिलो तो, बेचैनी सी लगती है,
दोस्ती निभाते निभाते उससे, मोहब्बत सी हो गई है!

होठों की नमी चुरा लूँ

तेरे पंखुड़िओ जैसे होठों की नमी को चुरा लूँ,
तेरी ज़ुल्फों की साए में खुद को छुपा लूँ!
तेरे बदन की खुशबू में बस अब नहा लूँ,
गर फिर भी चैन ना आये, तो ये सब दुहरा लूँ!!