Thursday, August 24, 2017

इन्तहाँ कहाँ तक है

ना पूछ, मेरे सब्र की इन्तहाँ कहाँ तक है,
कर ले तू सितम, तेरी हसरत जहाँ तक है!
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी, उनको मुबारक,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है!!

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