कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है |
मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है,
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है ||
समुन्दर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता,
ये आसूँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता |
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता ||
मुहब्बत एक एह्सासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है |
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं,
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है ||
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा |
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का,
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा ||
- डॉ कुमार विश्वास
Tuesday, July 7, 2009
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है..
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3 comments:
waah kumar..waah !
मेरे पास पूरा विडियों है इसका
शुभकामनाएं...
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