यारो ठोकरें खा कर भी, मैं ठहरा नहीं हूँ
रस्ते भले ही अजीब हैं, मैं भटका नहीं हूँ
ये आंधियां ये ज़लज़ले आते रहेंगे रोज़ ही,
पर उड़ा न पाएंगे मुझे, मैं तिनका नहीं हूँ
मुझे हर तरफ से घेर लेती हैं पुरानी यादें,
लोगों को ज़रा कह दो, कि मैं तन्हा नहीं हूँ
मेरे दिल में डोलते हैं जाने कितने फ़साने,
ज़रा यार भी समझ लें, कि मैं बदला नहीं हूँ
जाता हूँ जिधर भी सुनाई पड़ता है शोरगुल,
इन शरीफों से ज़रा कह दो, मैं बहरा नहीं हूँ
सच है कि मेरे दिल पे बोझ ज्यादा है
पर दुनिया ये समझ ले, कि मैं बहका नहीं हूँ
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